कंटेंट (विषय-वस्तु) को अनुकूल बनाना


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जब आप क्लाइंट और पाठकों के लिये उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कंटेंट बना रहे हैं तो आपको कोशिश ये करनी चाहिये कि जहाँ तक संभव हो आप तकनीकी शब्दावली, ऐक्रनिम (परिवर्णी शब्द), और लघुरुपी शब्दों (अब्रीवीएशन) के प्रयोग से बचें। इससे पाठक भ्रमित (कन्फ्यूज़) हो जाते हैं और कई बार लिखा कुछ और होता है और पाठक कुछ और ही समझ लेते हैं। नीचे इस तरह के कुछ और बिंदुओं (पॉइन्ट्स) पर चर्चा की गई है।

यदि आप अपने डॉक्यूमेन्ट के कंटेंट, टोन और भाषा को पाठकों के आवश्यकतानुसार रूपान्तरित करना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित बातों का खयाल रखना पड़ेगा −

  • आप 'मैं' या 'हम' के बजाय 'आप' या 'तुम' का अधिक इस्तेमाल करें।

  • पाठकों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए लिखें।

  • उनके फायदों पर फोकस(ध्यान केंद्रित) करें।

  • आपकी भाषा किसी लिंग, जाति, आयु और विकलांगता के लिए विशिष्ट नहीं होनी चाहिए।

  • एक औपचारिक (फॉर्मल) तथा शीलवन्त प्रभाव छोड़ने के लिये ऐसे टोन का प्रयोग करें जो प्रोफेशनल (पेशेवर) होने के साथ-साथ फ्रेन्ड्ली (अनुकूल या मित्रवत) भी हो।

  • ऐसे सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें जो सुशिष्ट, सरल और सटीक हों।

अनुकूल बनाना

जहां कहीं भी संभव हो 'मैं' या 'हम' के बजाय मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम (second-person pronoun) का प्रयोग करें- इसमें सकारात्मक भाव होता है साथ ही पाठक को यह भी लगता है कि आप उसके साथ सहानुभूति रखते हैं। इससे वह ध्यानपूर्वक पढ़ता है क्योंकि वह इसे (पाठ) आम जनता के लिए लिखा जाने वाला एक लिखित सामग्री के बजाय एक विशेष वार्तालाप के रूप में समझता है।



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