समीक्षात्मक सोच - सुधार


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समीक्षावादी व्यक्ति को प्रभावशाली बनने के लिए कई विशेषताओं की आवश्यकता होती है। इन विशेषताओं में जिज्ञासा, नम्रता, निष्पक्षता, आत्म-जागरूकता और सक्रिय श्रवण जैसे कई गुणों का समावेश किया गया है। आज के पेशेवर दुनिया में एक कर्मचारी से ऐसे कौशल की उम्मीद की जाती है क्योंकि इन योग्यताओं के माध्यम से उसे संगठन में काम करते हुये संगठन के वैल्यु में एक संपत्ति की तरह देखा जाता है।

इन कौशलों में से कुछ की सूची बनाते हैं और देखते हैं कि इन कौशल के क्या खासियत है।

तकनीकी कौशल

यह वित्तीय प्रणालियों को समझने और उनका उपयोग करने की दक्षता है। इसके तहत निश्चित समय में लेनदेन को सही ढंग से पूरा करने का काम शामिल है। बेहतर तकनीकी कौशल हासिल करने का मतलब यह भी है कि आप प्रणाली की त्रुटियों, संदेशों और विसंगतियों को समझ सकें ताकि समय पर उनको सही ढंग से सुलझा सकें।

विश्लेषणात्मक कौशल

यह समस्याओं का विश्लेषण करने, उनके घटकों को समझने और प्रक्रिया के अंतर्निहित कारणों को देखकर या विभिन्न कार्यवाही के परिणामों के बारे में सोचकर व्यवस्थित तरीके से उन्हें हल करने की एक संगठित क्षमता है। उदाहरण के तौर पर बैंक कर्मचारियों में विश्लेषणात्मक कौशल कुछ इस प्रकार होंगे जैसे −

  • वास्तविक वित्तीय समस्याओं का क्रमश: विश्लेषण करना।
  • गलत लेनदेन की जांच के बाद उसके कारण को पहचाना।
  • वित्तीय विकल्पों पर विचार करके उचित समाधान पर पहुंचने के लिए मुद्दों का विश्लेषण करना।

समीक्षात्मक सोच

यह किसी समस्या को पहचानने, त्रुटि खोजने, उपलब्ध प्रासंगिक जानकारी को समझने और इन निष्कर्षों के परिणामों को सुव्यवस्थित करके अंतिम समाधान तक पहुँचने की क्षमता है।

निर्णय लेना

इसके अन्तर्गत संदेह, प्रत्यक्ष अनिश्चितताओं और अनुसंधान की प्रक्रियाओं को चलाने में आनेवाली कठिनाइयों को संबोधित करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचना शामिल है। इसमें समस्याओं को सटीक जानकारी के तौर पर परिभाषित करने और उपलब्ध आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए संभावित स्रोतों की पहचान करने से लेकर उपलब्ध विकल्पों की समीक्षा के बाद सबसे अच्छे विकल्प की तलाश करने जैसे काम इसके दायरे में आते हैं।

संचार

यह व्यक्ति या समूह के विचार, राय या सलाह को मौखिक या लिखित रूप से देने की एक प्रक्रिया है। इसमें ठीक से संवाद करने के लिये बातचीत के दौरान लोगों को सक्रिय रूप से सुनने की सलाह दी जाती है।

लोग अक्सर अपनी सोच के अनुसार संक्षिप्त व्याख्या करने की कोशिश करते हैं (शब्दों को सुनने के आधार पर उनके बारे में अलग-अलग तरह से व्याख्या)। यह दशा एक प्रतिबिंब की तरह होती है जिसमें भाषण में बोलने वाले के व्यक्तित्व की परछाईं साफ नज़र आती है।

इसके अतिरिक्त हाव-भाव का इस्तेेमाल किसी भी वक्ता को एक विषय पर विस्तृत रूप से बोलने के लिए प्रोत्साहित ही नहीं करता है बल्कि शब्दों के साथ शारीरिक हाव-भाव का ताल-मेल श्रोताओं को वक्ता से इस तरह से जोड़ पाता है जैसे कि वे उसके द्वारा बोले गये शब्दों से उभरकर आनेवाले विचारों का हस्सा बन रहें हों।

सवाल पूछते समय यह आवश्यक है कि आप सवाल पर स्पष्ट रुप से विचार करें क्योंकि यह आपकी समझ और ज्ञान के स्तर को दर्शाता है। सवाल गुमराह करने वाला न होकर बिल्कुल प्रासंगिक होना चाहिये।

टाईम मैनेजमेंट

टाईम मैनेजमेंट प्रक्रियाओं का सेट है जो कार्यकुशलता और उत्पादकता में वृद्धि करने के साथ-साथ कार्यों की उपलब्धि भी सुनिश्चित कराता है। इसके अंतर्गत सूचनाओं का संकलन और एकत्रीकरण, कार्य प्राथमिकता निर्धारण, काम की मौजूदा स्थिति पर नज़र और उचित समय-सीमा के भीतर काम को पूरा करने जैसे आयाम शामिल हैं।

सत्यनिष्ठा

किसी भी संस्था का एक इमादार कर्मचारी संस्था द्वारा दी जाने वाली जिम्मेदारी का दायित्व हर हालत में इमानदारी और नैतिकता के साथ निभाता है। एक ईमानदार व्यक्ति जिन सिद्धांतों का निर्वाह खुद के जीवन में करता है उन्हीं सिद्धांतों के निर्वाह की अपेक्षा वह व्यावसायिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के जीवन में दूसरों से भी रखता है।

एक ईमानदार व्यक्ति के कुछ गुण होते हैं −

  • वादों को ध्यान में रखना
  • वादों का सम्मान करना
  • जरुरतों का ध्यान रखना
  • जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार रहना
  • अधिकारी को सुनने के लिए तैयार रहना

विवरण पर ध्यान देना

समीक्षात्मक सोच को विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति को अपने विचारों पर अमल करने की जरूरत होती है। उसका समस्या के प्रति समान दृष्टिकोण होना चाहिए चाहे समस्या बड़ी या छोटी ही क्यों न हो। इसकी व्यापकता के अंतर्गत स्रोत और सूचना की सटीकता की समय-समय पर जांच, अपने काम की गुणवत्ता की निगरानी, सभी प्रक्रियाओं और गुणवत्ता का पालन और आग्रह के साथ-साथ दूसरों के कामों की गुणवत्ता के मापदंडों पर खरा उतरने जैसी जिम्मेदारियाँ आती हैं।

सेवा

अच्छी सेवाएं प्रदान करना उन दृढ़ संकल्पों की श्रेणी में आता है जिनका इस्तेमाल सेवा प्रदाता ग्राहकों को अपने उत्पाद सेवाओं का विपणन करते समय करते हैं। इस सेवा के अन्तर्गत आंतरिक और बाह्य दोनों ही ग्राहकों को समय पर, गुणवत्ता और शालीन वित्तीय सेवा प्रदान करना शामिल है।

इसके अंतर्गत ग्राहकों द्वारा की जाने वाली खरीददारी में बदलाव और तरीके का विश्लेषण करके उनकी जरुरतों का पता लगाना और उनके प्रश्नों को समझकर उन्हें जल्द समाधान प्रदान करने जैसे आयाम शामिल हैं।

निगोशीएशन

प्रायः किसी बात या उद्देश्य के संबंध में अपनी बातचीत के जरिये अन्य व्यक्ति को राज़ी करने की कला निगोशीएशन कहलाती है, लेकिन इसके व्यापक परिपेक्ष्य को देखा जाये तो दो असहमत लोगों के प्रस्तावों को सुनकर सहमति हेतु बीच का रास्ता बनाने की कला भी निगोशीएशन के दायरे में आती है। इसके अंतर्गत विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच संतुलन, अतिरिक्त विचारों का विकास और समाधान की पुष्टि करने के लिए दूसरों के विचारों को सुनने जैसे आयाम शामिल हैं।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बिक्रेता 'टेस्को' अमेरिका इस मंसूबे से आया था कि वो वहाँ के पश्चिमी समुद्र तट वाले इलाकों में छोटे किराने की दुकानें खोले जो सिर्फ ताजे खाद्य पदार्थ मुहैया कराती हों। अपना पहला फ्रेश एंड इज़ी स्टोर खोलने की इस योजना को लागू करने से पहले टेस्को ने व्यापक रुप से बाजार के बारे में ढेर सारी गहन जानकारियाँ हासिल की। यहाँ तक कि इसके लिये कई टेस्को कर्मचारी वहाँ के लोगों के खाने और खरीदारी की आदतों का अवलोकन करने के लिए अमेरिकी ग्राहकों के घरों में रहने लगे।

हालांकि, फ्रेश एंड इज़ी अवधारणा वाली ये दुकानें अपनी स्थापना के एक महीने के भीतर प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गयीं। यह अवधारणा जनता को आकर्षित करने में असफल रही और दुकानों की इन श्रृंखलाओं को आगे बढ़ाने की योजना को वापिस लेना पड़ा।

टेसकोस यूएस बिजनेस के प्रमुख टिम मेसन ने कहा कि कंपनी यह पता लगाने में विफल रही है कि क्यों कोई अमेरिकी प्रत्येक फ्रेश एंड इज़ी दुकानों द्वारा निर्धारित की जाने वाली कीमतों की रणनीतियों से खुश नहीं हैं। इसका कारण यह था कि उन्होंने वस्तुओं के मूल्यों को लेकर तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया था जो कि कम कीमतों पर मिलनेवाली वस्तुओं के विश्लेषण के लिये आवश्यक था। वे लोग कूपन और अन्य विशेष ऑफ़र को लेकर ही संतुष्ट थे।

समीक्षात्मक सोच आजीवन चलने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य में जिज्ञासा, अन्वेषणशीलता के साथ-साथ सीखने की ललक बनी रहनी चाहिये। समीक्षात्मक सोच में महारत हासिल करने के लिए आपको सवाल पूछते रहना होगा और इसके साथ-साथ अपनी और दूसरों की गलतियों से भी सीखना होगा। समीक्षात्मक सोच हमें हमारी पुर्वानुमानित सोच के दायरे से बाहर लाकर  व्यावहारिक निष्कर्ष तक पहुँचने में मदद करती है। ये दूसरों की चीजों को मानने या अपनाने के साथ-साथ प्रेरणादायक और मिलनसार बनने में हमारी मदद करती है।



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