समीक्षात्मक सोच - संप्रेषण सुधार


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सोचने का एक अहम उद्देश्य अलग-अलग विचारों तथा तथ्यों को जोड़ने की क्षमता हासिल करने के साथ-साथ अंत में संसक्त चित्र प्राप्त करना है। जब हमको यह पता चलता है कि हमारे विचार प्रतिष्ठित विचारकों की सोच से मिल रहे हैं तभी हमारे विचारकों को ज्यादा अहमियत और वज़न मिलता है। हमारे दिमाग में बनी हुयी विचारों की संरचना का ढाँचा उन लोगों के विचारों और तरीकों पर निर्भर करता है जिन लोगों का हम अनुसरण करते हैं। विचारों के जुड़ाव से हमारी सोच तथा व्यवहार को एक दिशा मिलती है और साथ ही साथ ये हमारे अंदर की जागरुकता को भी बढ़ाती है।

समीक्षात्मक सोच के लिए निष्पक्षता बहुत मायने रखती है। अपने यक्तिगत समीकरणों और रिश्तों को दूर रखकर उपलब्ध तथ्यों और डेटा के आधार पर निष्कर्ष निकालने के अभ्यास को ही निष्पक्षता कहते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक रेफरी किसी खिलाड़ी का मित्र भी हो सकता है पर जब वो उस (अपने मित्र) खिलाड़ी को गलती के लिए दंडित करता है तो वहाँ उसका व्यक्तिगत संबंध बीच में नहीं आना चाहिये।

निर्णय लेते समय भावनाओं को शामिल नहीं करना चाहिए और कुछ भावनाओं को समीक्षात्मक सोच के लिए रखना चाहिए जो निर्णय लेने से अलग है। एक बेकरी की दुकान की मालकिन मुफ्त होम डिलीवरी सेवा शुरू करके अपने ग्राहकों की मदद करना चाहती है- यह समीक्षात्मक सोच है जिसमें उसके ग्राहकों की भावनाएँ शामिल है। हालांकि, उसे पता है कि इस सेवा की लागत उसके व्यवसाय के लिए आर्थिक रूप से सहीं नहीं होगी, फिर भी उसे एक कठिन निर्णय लेने के साथ-साथ अपने विचारों में भी बदलाव लाना है।

स्व-जागरूकता किसी के विचारों, सीमाओं और भावनाओं के बारे में जागरूक होने की विशेषता है। जो लोग गंभीरता से सोचते हैं वे अक्सर यह देखने के लिए खुद का आकलन करते हैं कि परिस्थितियों के बदलते क्रम में वे कहां खड़े है, क्या वे रेखा के आगे हैं या पीछे। यह आवधिक मूल्यांकन मौजूदा स्थितियों और वैश्विक परिदृश्यों में परिवर्तन के अनुसार अद्यतन बनाए रखने में सहायता करता है।

इसलिए, संप्रेषण एक उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए और ऐसा तभी संभव है जब हम लगातार पढ़ते रहें और नई चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहें ताकि हमारा निर्णय भावनात्मक प्रतिक्रिया के बजाय तथ्यों पर आधारित हो। इसके अतिरिक्त, हमें अपनी कमजोरियों के बारे में भी अवगत रहना चाहिए और जल्द से जल्द इन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

कारों का व्यापार करने वाली कंपनी के वित्तीय अधिकारी के रूप में आप एक विचित्र स्थिति का सामना कर रहे हैं। कंपनी का मालिक एक अनुभवी व्यक्ति है और उसे अपने अनुभव के बल पर फैसला लेने में मज़ा आता है। उसे बीते समय में इस तरीके से कई बार सफलता मिली है लेकिन अब देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रही है।

मालिक खुद को बाजार से जुड़े हर पहलू के संबंध में सजग रखता है, हालाँकि, व्यवसाय में अपने सहज शैली के चलते वो 30 सेव्स को खरीदने की योजना इस उम्मीद पर बना रहा है कि कारें क्रिसमस से पहले बिक जाएंगी।

इस कंपनी के वित्तीय सलाहकार के रूप में आपका क्या निर्णय होगा और यदि आपका फैसला उसके फैसले से अलग है, तो आप उसे अपने फैसले के लिए उसे कैसे मनायेंगे?



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